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हिंदी कहानियां - भाग 214

घर का हैप्पी बर्थडे, पढ़ें ये दिलचस्प कहानी


घर का हैप्पी बर्थडे, पढ़ें ये दिलचस्प कहानी रात हो गई थी। मम्मी ने कहा, ‘अंतरिक्ष, चलो दूध पिओ।’ फिर कुछ याद करते पापा से बोलीं, ‘अरे, मैं तो भूल ही गई। आज हमें इस घर में आए पूरे तीन साल हो गए।’ छोटे से अंतरिक्ष ने पूछा, ‘तीन साल, क्या?’ ‘तीन साल माने क्या?’ मम्मी ने दोहराया। वह कुछ बोलतीं, उससे पहले ही पापा ने कहा, ‘तीन साल मतलब, आज हमारा घर तीन साल का हो गया। जैसे तुम पिछले महीने पांच साल के हुए थे न।’ ‘तो आपने तो मेरा हैप्पी बर्थ डे मनाया था।’ ‘हां, हां बिल्कुल सही कहा । आज घर का हैप्पी बर्थडे है।’ मम्मी खुश होते हुए बोलीं। ‘तो उसका बर्थ डे  केक कहां है। और उसके दोस्त क्यों नहीं आए।’ ‘अरे हां, घर का बर्थडे तो उसके दोस्त, आसपास के दूसरे  घर ही मना सकते हैं। बुलाओ भाई, दूसरे घरों को बुलाओ। फिर जब उनका बर्थडे होगा तो हमारा घर भी चलकर वहां जाएगा।’ पापा  बोले और खूब हंसे। ‘लेकिन अंतरिक्ष, हम और तुम भी तो घर के दोस्त हैं। हैं कि नहीं?’ मम्मी ने उसका खाली किया कप सिंक में रखते पूछा। ‘यस, घर इज माई फ्रेंड।’ अंतरिक्ष बोला तो पापा बोले, ‘चलो घर को हैप्पी बर्थडे विश करते हैं।’ ‘नहीं, पहले केक लाओ। उस पर कैंडल लगाओ और गुब्बारे भी।’ ‘हां भई, अगर घर का बर्थडे ठीक से नहीं मनाया तो घर बुरा मान जाएगा। नाराज हो जाएगा। मगर इस वक्त केक लाएं कहां से। दुकानें तो बंद हो गई होंगी और ऑन लाइन अगर ऑर्डर करें तो आएगा कब।’ पापा ने कहा। उनकी बात सुनकर मम्मी ने अंतरिक्ष से पूछा, ‘अंतरिक्ष क्या हलवा केक से घर का हैप्पी बर्थ-डे मनाएं!’ ‘हलवा केक।’ ‘हां, खाकर देखना बहुत मजा आएगा।’ ‘घर को भी।’ अंतरिक्ष ने अपनी फुटबॉल में एक किक मारते हुए कहा। ‘हां घर को भी।’ कहती हुई मम्मी जल्दी से किचन में चली गईं। थोड़ी देर में ही वहां से सूजी भूनने की खुशबू आने लगी। पापा ने फटाफट काजू काटे। इलायची पीसी। नारियल कद्दूकस किया। हलवा बनाने के बाद मम्मी ने उसे प्लेट में पलटकर कलछी से गोल केक जैसा बना दिया। फिर एक छोटी मोमबत्ती भी उस पर लगा दी।  यह देख अंतरिक्ष बोला, ‘आप तो कह रही थीं, घर का थर्ड बर्थडे है।’  ‘तो कोई बात नहीं। दो कैंडल घर के अगले बर्थ डे पर लगा देंगे।’ पापा की बात सुनकर अंतरिक्ष खुश हो गया। वह गाने लगा, ‘हैप्पी बर्थ डे माई डियर होम। हैप्पी बर्थ डे टू यू।’ पापा, मम्मी ने भी साथ दिया उसका। फिर अंतरिक्ष ने  हलवा केक काटा और घर को खिलाने आगे बढ़ा। तो मम्मी ने उसे रोका, ‘नो अंतरिक्ष, दीवार पर कुछ मत लगाओ। गंदी हो जाएगी।’  ‘तो फिर घर केक कैसे खाएगा।’ अंतरिक्ष ने पूछा। ‘कैसे खाएगा घर?’ पापा ने मम्मी से पूछा। ‘ऐसा करते हैं अंतरिक्ष, घर का एक सुंदर इलस्ट्रेशन बनाओ। उसी को खिला देंगे तो घर खा लेगा।’ मम्मी ने उसे फुसलाया। ‘नो, वह भूखा रहेगा। इलस्ट्रेशन कुछ नहीं खा सकता, पानी भी नहीं पी सकता, यह आपने ही तो बताया था उस दिन।’ मम्मी को याद आया कि एक दिन जब अंतरिक्ष ने चिड़िया बनाई थी और उसे पानी पिलाने की कोशिश कर रहा था तो उन्होंने ही कहा था कि चित्र कुछ नहीं खा-पी सकते। ‘कोई बात नहीं, करने दो न उसे। दीवार को कल साफ कर देंगे।’ पापा ने पास जाकर मम्मी को धीरे से समझाया तो मम्मी ने भी हां कर दी। अंतरिक्ष ने दीवार पर हलवा चिपकाया फिर पूछा, ‘टेस्टी है न।’ ‘घर तो बताएगा ही पहले तुम खाकर बताओ।’ मम्मी की बात सुनकर अंतरिक्ष ने खाया और हां में सिर हिलाया। फिर चम्मच से खाने लगा। वह बार-बार हलवा लगी दीवार को देखता जाता कि घर ने अभी हलवा खाया है कि नहीं।  मम्मी और पापा आज बहुत खुश भी हो रहे थे। घर के हैप्पी बर्थडे के बहाने उन्होंने अंतरिक्ष को हलवा खिला दिया था। उसे हलवा बिल्कुल पसंद नहीं था। हो सकता है कि हलवे को हलवा केक कहने से वह आगे भी खाने लगे। उस रात सोते हुए भी अंतरिक्ष मुस्करा रहा था, जैसे सपने में भी वह अपने घर से बातचीत कर रहा हो। उसका जन्मदिन मना रहा हो। दूर बैठे दादा-दादी ने जब घर के जन्मदिन मनाने के वीडियो को देखा तो वे बहुत खुश हुए। अगले दिन जब अंतरिक्ष सोकर उठा तो दौड़ते हुए मम्मी के पास गया, ‘मम्मा देखो, घर ने हलवा केक खा लिया।’ उसने दीवार की तरफ इशारा किया। वहां हलवे का नामोनिशान नहीं था। अंतरिक्ष को नहीं पता था कि उसके सो जाने के बाद पापा ने दीवार साफ जो कर दी थी।

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